वो सोचो जो चाहते हो वो नहीं जो नहीं चाहते हो ! जब आप restaurant में खाने जाते हैं तो waiter से क्या कहते हैं ? “ मुझे एक कढाई पनीर , 2 garlic नान , और एक fried rice नहीं चाहिए ….” या फिर ,” मेरे लिए एक lime soda मत लाना ” क्या आप ऐसे order देते हैं … कि मुझे ये -ये चीजें नहीं चाहियें . या ये बताते हैं कि आपको क्या -क्या चाहिए ?? Of course , हर कोई यही कहता है कि उसे क्या चाहिए , ये नहीं कि उसे क्या नहीं चाहिए … now suppose अगर हम waiter से कहते कि क्या नहीं चाहिए तो क्या वो हमारे मन की चीज ला कर दे पाता , क्या वो हमारे “नहीं चाहिए ” से ये interpret कर पाता कि हमें “ क्या चाहिए ”…नहीं कर पाता यही बात हमारी life में भी लागू होती है …ये ब्रह्माण्ड एक ऐसी अद्भुत जगह है जहाँ हमारी हर एक इच्छा पूरी हो सकती है. कैसे ? हमारी सोच से ! ये दरअसल एक law है जो किसी भी mathematical law की तरह perfect है ...