आज आप क्या कर रहे हैं यही तय करेगा कि कल आप क्या करेंगे



सूखे के कारण माधवपुर गाँव के किसान बहुत परेशान थे. धरती से पानी गायब हो चुका ,ट्यूबवेल जवाब दे चुके थे… खेती करने के लिए सभी बस इंद्र की कृपा पर निर्भर थे.<script async src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script>
<script>
     (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({
          google_ad_client: "ca-pub-7704355103837361",
          enable_page_level_ads: true
     });
</script>
Hindi Story on Preparing Yourself in Bad Times
पर बहुत से पूजा-पाठ और यज्ञों के बावजूद बारिश होने का नाम नहीं ले रही थी. हर रोज किसान एक जगह इकठ्ठा होते और बादलों को ताकते रहते कि कब बारिश हो और वे खेतों में लौट सकें.

<script async src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script>
<script>
     (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({
          google_ad_client: "ca-pub-7704355103837361",
          enable_page_level_ads: true
     });
</script>
आज भी सभी बारिश के इंतज़ार में बैठे हुए थे कि तभी किसी ने कहा, “अरे ये हरिया कहाँ रह गया… दो-तीन दिन से वो आ नहीं रहा… कहीं मेहनत-मजदूरी करने शहर तो नहीं चला?”
बात हंसी में टल गयी पर जब अगले दो-तीन दिन हरिया दिखाई नहीं दिया तो सभी उसके घर पहुंचे.
“बेटा, तेरे बाबूजी कहाँ हैं?”, हरिया के बेटे से किसी ने प्रश्न किया.
“पापा खेत में काम करने गए हैं!”, बेटा यह कहते हुए अन्दर की ओर भागा.
“खेत में काम करने!”, सभी को बड़ा आश्चर्य हुआ कि हरिया ऐसा कैसे कर सकता है.
“लगता है इस गर्मी में हरिया पगला गया है!”, किसी ने चुटकी ली और सभी ठहाका लगाने लगे.
लेकिन सबके अन्दर कौतूहल था कि हरिया खेत में क्या कर रहा होगा और सभी उसे देखने के लिए चल पड़े.
उन्होंने देखा कि हरिया खेत में गड्ढा खोद रहा था.
“अरे! हरिया! ये तू क्या कर रहा है?”
“कुछ नहीं बस बारिश होने की तैयारी कर रहा हूँ.”
“जहाँ बड़े-बड़े जतन करने से बारिश नहीं हुई वहां तेरा ये गड्ढा खोदने का टोटका कहाँ काम आने वाला!”
“नहीं-नहीं मैं टोटका नहीं कर रहा मैं तो बस कोशिश कर रहा हूँ कि जब बारिश हो तो मैं हर तरफ का बहाव इस जलाशय की ओर कर इसमें ढेर सारा पानी इकठ्ठा कर सकूँ… ताकि अगली बार बारिश के बिना भी कुछ दिन काम चल जाए!”
“इस बार का ठिकाना नहीं और तू अगली बार की बात कर रहा है…महीनों बीत गए और एक बूँद नहीं टपकी है आसमान से… ये बेकार की मेहनत में समय बर्बाद मत कर… चल हमारे साथ वापस चल!”
<script async src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script>
<script>
     (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({
          google_ad_client: "ca-pub-7704355103837361",
          enable_page_level_ads: true
     });
</script>
लेकिन हरिया ने उनकी बार अनसुनी कर दी और कुछ दिनों में अपना जलाशय तैयार कर लिया.
ऐसे ही कई दिन और बीत गए पर बारिश नहीं हुई… फिर एक दिन अचानक ही रात में बादलों के घरघराहट सुनाई दी… बिजली चमकने लगी और बारिश होने लगी.
मिटटी की भीनी-भीनी खुशबु सारे इलाके में फ़ैल गयी… किसानों के चेहरे खिल उठे… सभी सोचने लगे कि बस अब उनके बुरे दिन ख़त्म हो जायेंगे… लेकिन ये क्या कुछ देर बरसने के बाद बारिश थम गयी और किसानों की ख़ुशी भी जाती रही.
अगली सुबह सब खेतों का जायजा लेने पहुंचे. मिटटी बस ऊपर से गीली भर हो पायी थी, ऐसे में खेतों की जुताई शुरू तो हो सकती थी लेकिन सींचाई के लिए और भी पानी की ज़रुरत पड़ती… किसान मायूस हो अपने घरों को लौट गए.
दूसरी तरफ हरिया भी अपने खेत पहुंचा और लाबालब भरे छोटे से जलाशय को देखकर खुश हो गया. समय गँवाए बिना उसने हल उठाया और खेत जोतना शुरू कर दिया. कुछ ही महीनों में माधवपुर के सूखाग्रस्त इलाके में बस एक ही चीज हरी-भरी दिखाई दे रही थी— हरिया का खेत.
दोस्तों, जब conditions सही न हों तो ऐसे में अधिकतर लोग बस उसके सही होने का इंतज़ार करते रहते हैं, और उसे लेकर परेशान रहते हैं. जबकि करना ये चाहिए कि खुद को उस वक़्त के लिए तैयार रखना चाहिए जब परिस्थितियां बदलेंगी जब, सूखा ख़त्म होगा…जब बारिश आएगी.
क्योंकि ये प्रकृति का नियम है… दिन के बाद रात तो रात के बाद दिन आना ही आना है… आपका बुरा वक़्त हमेशा के लिए नहीं रहने वाला… चीजें बदलती हैं…. चीजें बदलेंगी… लेकिन क्या आप उस बदलाव का फायदा उठाने के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं… क्या आप job opportunities आने पर उन्हें grab करने के लिए तैयारी कर रहे हैं या बस उनके ना होने का रोना रो रहे ?
… क्या acting, singing या dancing का कोई मौका मिलने पर आप उसके लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं या बस contacts न होने की अपनी बदनसीबी जाहिर कर रहे हैं.
बस इतना समझ लीजिये कि-<script async src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script>
<script>
     (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({
          google_ad_client: "ca-pub-7704355103837361",
          enable_page_level_ads: true
     });
</script>

आज आप क्या कर रहे हैं यही तय करेगा कि कल आप क्या करेंगे.

इसलिए अगर असफल लोगों की भीड़ का हिस्सा नहीं बल्कि मुट्ठी भर कामयाब लोगों के group का part बनना चाहते हैं तो इस आज को अप<script async src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script>
<script>
     (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({
          google_ad_client: "ca-pub-7704355103837361",
          enable_page_level_ads: true
     }); 
</script>ना बनाइये… उठाइये अपने औजार और तैयारी करिए लहलहाती फसल की…बारिश बस होने ही वाली है!

Comments

Popular posts from this blog